गैर-मुसलमानों के साथ संबंधों के लिए इस्लाम के अनुसार दिशानिर्देश

गैर-मुसलमानों के साथ संबंधों के लिए इस्लाम के अनुसार दिशानिर्देश

हमें विस्तार से पता होना चाहिए कि इस्लाम के अनुसार मुसलमानों को गैर-मुसलमानों के साथ कैसे संबंध रखने चाहिए...

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क्या कुरआन के अनुसार पृथ्वी गोल नहीं समतल है?

क्या कुरआन के अनुसार पृथ्वी गोल नहीं समतल है?

कुछ लोगो को लगता है कि कुरआन के अनुसार पृथ्वी समतल है जबकि कुरआन की एक भी आयत यह नहीं कहती है कि पृथ्वी समतल (फ्लैट) है. कुरआन केवल एक कालीन के साथ पृथ्वी की पपड़ी की तुलना

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जीवन का उद्देश्य

जीवन का उद्देश्य

एक ज्ञान वह है जो मनुष्य की आवश्यकताओं से सम्बंधित होता है, जिसे दुनिया का ज्ञान कहते हैं. इसके लिए ईश्वर ने कोई संदेशवाहक नहीं भेजा, बल्कि वह ज्ञान ईश्वर ने मस्तिष्क में पहले से सुरक्षित कर दिया है.

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अच्छे कार्यो का स्वर्ग में क्या बदला मिलेगा?

अच्छे कार्यो का स्वर्ग में क्या बदला मिलेगा?

अच्छे कार्यों के बदले में स्वर्ग की इच्छा की जगह ईश्वर को पाना ही मकसद होना चाहिए. जिसने स्वयं ईश्वर को पा लिया उसने सब कुछ पा लिया.

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शोभायमान आँखों वाली हूर!

शोभायमान आँखों वाली हूर!

शब्द हूर, अहवार (एक आदमी के लिए) और हौरा (एक औरत के लिए) का बहुवचन है. इसका मतलब ऐसे इंसान से हैं जिसकी आँखों को "हवार" शब्द से संज्ञा दी गयी है....

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दया और न्याय का स्थान

  • Friday, August 2, 2013
  • by
  • Shah Nawaz
  • मुसलमानों के लिए यह ज़रूरी है कि वह जान और मान लें कि इस्लाम दया और न्याय का धर्म है. इस्लाम के लिए इस्लाम के अलावा अगर कोई और शब्द इसकी पूरी व्याख्या कर सकता है तो वह "न्याय" है. किसी पर झूठा इलज़ाम लगाना या झूठा इलज़ाम लगाने वालों का साथ देना, जब तक किसी पर जुर्म साबित ना हो जाए, (मतलब जुर्म की सच्ची गवाही ना मिल जाए) उसे मुजरिम ठहराना अथवा जुर्म साबित किये बिना ही सज़ा देना, सजा देने की मांग...
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    आतंकवाद और इस्लाम!

  • Tuesday, August 23, 2011
  • by
  • Shah Nawaz
  • आज सारे विश्व को आतंकवाद नामक दानव ने घेरा हुआ है। आमतौर पर आतंकवाद किसी वर्ग अथवा सरकार से उपजी प्रतिशोध की भावना से शुरू होता है। इसके मुख्यतः दो कारण होते है, पहला यह कि किसी वर्ग से जो अपेक्षित कार्य होते हैं उसके द्वारा उनको ना करना तथा दूसरा कारण ऐसे कार्यों को होना जिनकी अपेक्षा नहीं की गई है। मगर आमतौर पर ऐसे प्रतिशोधिक आंदोलन अधिक समय तक नहीं चलते हैं। हाँ शासक वर्ग द्वारा हल की जगह दमनकारी...
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    इंसाफ के दिन का इंतजार क्यों?

  • Friday, July 22, 2011
  • by
  • Shah Nawaz
  • कुछ लोग सवाल उठाते हैं कि ईश्वर 'इंसाफ के दिन' अर्थात 'क़यामत' का इंतजार क्यों करता है, आदमी इधर हलाक हुआ उधर उसका हिसाब करे। अल्लाह ने इन्साफ का दिन तय किया, जहाँ वह सभी मनुष्यों को एक साथ इकठ्ठा करेगा ताकि इन्साफ सबके सामने हो। यह इसलिए भी हो सकता है, क्योंकि बहुत से पुन्य और पाप ऐसे होते हैं जिनका सम्बन्ध दुसरे व्यक्ति या व्यक्तियों से होता है। इसलिए "इन्साफ के दिन" उन सभी सम्बंधित लोगो का इकठ्ठा...
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    प्रश्न - उत्तर

  • Thursday, September 2, 2010
  • by
  • Shah Nawaz
  • आप यहाँ पर टिपण्णी (Comments) के माध्यम से इस्लाम धर्म से सम्बंधित प्रश्न मालूम कर सकते हैं, अगर किसी को किसी प्रश्न का उत्तर मालूम हो तो वह उसका उत्तर भी दे सकता है. केवल वह प्रश्न ही प्रकाशित किए जाएंगे जिनकी भाषा सभ्य और संयमित होगी. विषय से हटकर की गई टिपण्णी को निरस्त कर दिया जाए...
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    दोष केवल मीडिया का नहीं बल्कि हमारा भी है

  • Thursday, July 22, 2010
  • by
  • Shah Nawaz
  • केवल मीडिया को दोष देने से कुछ भी हासिल नहीं होगा, हो सकता है आपकी बात में कुछ सत्य हो, लेकिन पूरा सत्य है, ऐसा मैं नहीं मानता हूँ. चाहे जीवन का कोई भी क्षेत्र हो, तिल को तो ताड़ बनाया जा सकता है, लेकिन बिना तिल के ताड़ बनाना असंभव है. एक मुसलमान होने के नाते हमारा यह फ़र्ज़ है की हम अपने अन्दर फैली बुराईयों को दूर करने की कोशिश करें. केवल यह सोच कर संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता है कि दुसरे समुदायों के अनुयायियों...
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    कहत शाहनवाज़ सुनो भाई कबीरा

  • Tuesday, July 13, 2010
  • by
  • Shah Nawaz
  • "कहत कबीरा" ब्लॉग के संजय गोस्वामी जी और भांडाफोडू ब्लॉग के शर्मा जी आप इस बार की तरह अक्सर ही इस्लाम धर्म के बारे में कुछ झूटी और मन-गढ़त कहानिया लाते हो और उसे कुरआन की आयतों से जोड़ने की नाकाम कोशिश करते हो. बात को घुमाने की जगह अगर आपके पास अपनी बात की दलील है तो उसे पेश करिए, ताकि सार्थक बात हो सके. लोगों ने कुरआन के महत्त्व तथा उसकी रुतबे को लोगो के दिल से कम करने के इरादे से कुरआन को शायरी कहना शुरू कर दिया था जबकि कुरआन शायरी नहीं बल्कि ईश्वर (अल्लाह) का ज्ञान है. शायरी में अक्सर महिमा मंडन...
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