क्या कुरआन के अनुसार पृथ्वी गोल नहीं समतल है?

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  • Wednesday, April 7, 2010
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  • Shah Nawaz
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  • कुछ लोगो को लगता है कि कुरआन के अनुसार पृथ्वी समतल है जबकि  कुरआन की एक भी आयत यह नहीं कहती है कि पृथ्वी समतल (फ्लैट) है. कुरआन केवल एक कालीन के साथ पृथ्वी की पपड़ी की तुलना करता है. कुछ लोगों को लगता है की कालीन को केवल एक निरपेक्ष समतल सतह पर ही रखा जा सकता हैं. लेकिन ऐसा नहीं है, किसी कालीन को पृथ्वी जैसे किसी बड़े क्षेत्र पर फैलाया जा सकता है. पृथ्वी के एक विशाल मॉडल को किसी कालीन से साथ  ढक कर आसानी से इस बात को समझा  जा सकता है.

    वही है जिसने तुम्हारे लिए धरती को पालना (बिछौना) बनाया और उसमें तुम्हारे लिए रास्ते निकाले और आकाश से पानी उतरा. फिर हमने उसके द्वारा विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे निकाले [कुरआन 20:53].


    कालीन को आम तौर पर किसी ऐसी सतह पर पर डाला जाता है, जो चलने mein  बहुत आरामदायक नहीं होती है. पवित्र कुरआन तार्किक आधार पर एक कालीन के रूप में पृथ्वी की पपड़ी का वर्णन करता है, जिसके  नीचे गर्म तरल पदार्थ हैं एवं  जिसके बिना मनुष्य के लिए प्रतिकूल वातावरण में जीवित रहना सक्षम नहीं होता. कुरआन का यह ज्ञान भूवैज्ञानिकों के द्वारा सदियों की खोज के बाद उल्लेख किया गया एक वैज्ञानिक तथ्य भी है.

    इसी तरह, कुरआन के कई श्लोक कहते है कि पृथ्वी को फैलाया गया है.

    और धरती को हमने बिछाया, तो हम क्या ही खूब बिछाने वाले हैं. [कुरआन 51:48]
    क्या ऐसा नहीं है कि हमने धरती को बिछौना बनाया और पहाडो को खूंटे? [कुरआन 78:6-7]


    कुरआन की इन आयात में कुछ ज़रा सा भी निहितार्थ नहीं है कि पृथ्वी फ्लैट हैं. यह केवल इंगित करता है कि पृथ्वी विशाल है और पृथ्वी के इस फैलाव वाले स्वाभाव का कारण उल्लेख करते हुए शानदार कुरआन कहता हैं:

    ऐ मेरे बन्दों, जो ईमान लाए हो! निसंदेह मेरी धरती विशाल है, अत: तुम मेरी ही बंदगी करो. [कुरआन 29:56]


    कुरआन की उपरोक्त आयात से यह भी पता चलता है कि किसी का यह बहाना भी नहीं चल सकेगा कि वह परिवेश और परिस्थितियों की वजह से अच्छे कर्म नहीं सका और बुराई करने पर मजबूर हुआ था.


    - शाहनवाज़ सिद्दीकी

    40 comments:

    Rashmig G said...

    अच्छा लेख है. मैंने भी पहले कहीं यह पढ़ा था कि कुरान में लिखा है कि पृथ्वी फ्लैट है.

    Rashmig G said...

    तब मुझे पढ़कर बड़ा अजीब लगा था. परन्तु आपने कुरान की बैटन को स्पष्ट करके सही स्तिथि के बारे में बता दिया. अच्छा और ज्ञानवर्धक लेख है.

    vijkid said...

    I am really confused about Islam.As my parents taught me to respect all religions but in day to day life what i am finding it really difficult to do that considering the jihadi acts,violence,intolerance to other religions,non-scientific approach and overall scenario of globe that wherever an act violence occurs, the followers of islam are behind them(in 99% cases),WHY ??????
    Why You see others religions as a threat?Why you consider America EVIL?
    Why you people still consider FEMALE as an object.
    There are lot of things which confuses me.
    Why cant we leave together in peace?
    Why you people consider all non-muslims as KAFIRS????
    Why KURAN cant't be amended as per newer situations?Why it does consider itself perfect???(What a surprise).May be whatever written in it is true at the time when it was written,but since then a lot of time had been passed and new situations are here and it cant be amended as per current facts(I am not telling to change it,just improvement.)There is alway a chance of improvement.
    Why you consider Art,Drawing,Dance,Music(Cradle of civilization as per my opinion)as a sin????
    There are lot of confusions in the mind of non-mulims about these points.
    Will you clarify us????
    waiting for your kind reply.
    Yours truly,
    vij.

    सलीम ख़ान said...

    कुर-आन की लगभग 80 फ़ीसदी बातों को अब तक विज्ञान ने सत्य साबित कर दिया है... बाक़ी 20 फ़ीसदी बातें अभी तक विज्ञान ने प्रूव नहीं किया; उसकी मुख्य वजह है विज्ञान का अभी इतना विकसित न होना है... इंशा अल्लाह अगर यही रेशियो रहा तो जल्द ही अधिकतम बातें भी इंसान विज्ञान के ज़रिये कुर-आन की बातें आसानी से समझ सकता है. यह उनके लिए समझने के लिए काफी है जो समझना चाहें...

    safat alam taimi said...

    यह सिद्ध करता है कि क़ुरआन अल्लाह की वाणी है जो मुहम्मद सल्ल0 पर आकाशीय दूत जिब्रील अ0 के माध्यम से अवतरित हुआ।

    Mohammed Umar Kairanvi said...

    nice post अल्‍लाह करे आप भी वोट दे सकें, vijkid के confusions दूर किजियेगा, कमबख्‍त कोई हमसे तो कहता ही नहीं कि मुझे यह confusion है, न कोई मेरा confusion दूर करता कि मुझे वाइरस क्‍यूं कहते हैं मैंने इन्‍हें बस इतना ही तो कहा था कि आओ

    ---
    signature:
    विचार करें कि मुहम्मद सल्ल. कल्कि व अंतिम अवतार और बैद्ध मैत्रे, अंतिम ऋषि
    (इसाई) यहूदीयों के भी आखरी संदेष्‍टा? हैं या यह big Game against Islam है?
    antimawtar.blogspot.com (Rank-1 Blog) डायरेक्‍ट लिंक

    अल्‍लाह का
    चैलेंज पूरी मानव-जाति को


    अल्‍लाह का
    चैलेंज है कि कुरआन में कोई रद्दोबदल नहीं कर सकता


    अल्‍लाह का
    चैलेंजः कुरआन में विरोधाभास नहीं

    अल्‍लाह का
    चैलेंजः आसमानी पुस्‍तक केवल चार

    अल्‍लाह का
    चैलेंज वैज्ञानिकों को सृष्टि रचना बारे में

    अल्‍लाह
    का चैलेंज: यहूदियों (इसराईलियों) को कभी शांति नहीं मिलेगी


    छ अल्लाह के चैलेंज सहित अनेक इस्‍लामिक पुस्‍तकें
    islaminhindi.blogspot.com (Rank-2 Blog)
    डायरेक्‍ट लिंक

    इस्लामिक वेबदुनिया said...

    @Brother vijkid
    You are really confused about islam.
    The maim reason is that media,s role is against islam.The second reason is that many muslims don,t follow the islam.Acts of muslims are not islam.Islam means teaching of Quraan and muhammad Peace be upon him.
    Brother please look at the website which link are attach.
    http://www.islamreligion.com/category/84/
    http://www.islamreligion.com/category/101/
    http://www.islamreligion.com/category/85/
    http://www.islamreligion.com/

    This website has all answers of you questions.

    Shah Nawaz said...

    आज के माहौल को देखते हुए आपके सवाल वाजिब हैं, मैं कोशिश करता हूँ उनके जवाब आपको देने की. इसमें पहली बात तो यह कि किसी भी धर्म को समझने के लिए उसके ग्रंथों को समझना ही सबसे उचित है. इसी तरह अगर आपको इस्लाम के बारे में कोई राय कायम करनी है, तो इसकी किताब कुरआन अथवा ईश्वर के आखिरी संदेशवाहक मुहम्मद (स.) की जीवनी या उनके शब्द अर्थात "हदीस" को समझना आवश्यक है.

    इस्लाम आतंकवाद जैसे किसी भी कृत्य की सख्त निंदा करता है, ईश्वर ने स्वयं पवित्र कुरआन में कहा कि:

    इसी कारण हमने इसराईल की सन्तान के लिए लिख दिया था, कि जिसने किसी व्यक्ति को किसी के ख़ून का बदला लेने या धरती में फ़साद फैलाने के के जुर्म के अतिरिक्त किसी और कारण से मार डाला तो मानो उसने सारे ही इंसानों की हत्या कर डाली। और जिसने उसे जीवन प्रदान किया, उसने मानो सारे इंसानों को जीवन प्रदान किया। उनके पास हमारे रसूल (संदेशवाहक) स्पष्‍ट प्रमाण ला चुके हैं, फिर भी उनमें बहुत-से लोग धरती में ज़्यादतियाँ करनेवाले ही हैं [5:32]

    जो ईश्वर के साथ किसी दूसरे इष्‍ट-पूज्य को नहीं पुकारते और न नाहक़ किसी जीव को जिस (के क़त्ल) को अल्लाह ने हराम किया है, क़त्ल करते है। और न वे व्यभिचार करते है - जो कोई यह काम करे तो वह गुनाह के वबाल से दोचार होगा [25:68]

    वहीँ मुहम्मद (उन पर शांति हो) ने नाहक क़त्ल अथवा परेशां करने वालो के लिए फ़रमाया:

    "जो ईश्वर और आखिरी दिन (क़यामत के दिन) पर विश्वास रखता है, उसे हर हाल में अपने मेहमानों का सम्मान करना चाहिए, अपने पड़ोसियों को परेशानी नहीं पहुंचानी चाहिए और हमेशा अच्छी बातें बोलनी चाहिए अथवा चुप रहना चाहिए." (Bukhari, Muslim)


    "जिसने मुस्लिम राष्ट्र में किसी ग़ैर-मुस्लिम नागरिक के दिल को ठेस पहुंचाई, उसने मुझे ठेस पहुंचाई." (Bukhari)

    "जिसने एक मुस्लिम राज्य के गैर-मुस्लिम नागरिक के दिल को ठेस पहुंचाई, मैं उसका विरोधी हूँ और मैं न्याय के दिन उसका विरोधी होउंगा." (Bukhari)

    "न्याय के दिन से डरो; मैं स्वयं उसके खिलाफ शिकायतकर्ता रहूँगा जो एक मुस्लिम राज्य के गैर-मुस्लिम नागरिक के साथ गलत करेगा या उसपर उसकी जिम्मेदारी उठाने की ताकत से अधिक जिम्मेदारी डालेगा अथवा उसकी किसी भी चीज़ से उसे वंचित करेगा." (Al-Mawardi)

    "अगर कोई किसी गैर-मुस्लिम की हत्या करता है, जो कि मुसलमानों का सहयोगी था, तो उसे स्वर्ग तो क्या स्वर्ग की खुशबू को सूंघना तक नसीब नहीं होगा." (Bukhari).

    अगर बात विज्ञान की करें तो इस्लाम बिलकुल भी विज्ञान के खिलाफ नहीं है और ना ही इसमें कोई भी ऐसी बात है जो विज्ञान के खिलाफ हो. यहाँ तक की अगर विज्ञान अथवा गणित के नज़रिए से देखा जाए तो "कुरआन" अपने आप में एक चमत्कार सिद्ध होता है. अगर आप चाहे तो मैं विस्तार से इस सम्बन्ध में समझा सकता हूँ.

    Shah Nawaz said...

    Why You see others religions as a threat?Why you consider America EVIL?
    ना तो हम दुसरे धर्मों को अपने लिए चुनोती समझते हैं और ना ही अमेरिका को अपना दुश्मन. स्वयं मुहम्मद (स.) ने फ़रमाया कि दूसरों की आस्था और धर्म गुरुओं को बुरा मत कहो कहीं ऐसा ना हो कि वह तुम्हारी आस्था को बुरा कहें.



    Why you people still consider FEMALE as an object.
    यह एक अआधार हीन बात है, इस का कोई भी प्रमाण नहीं है. आप चाहे तो इसी मंच "हमारी अंजुमन" में औरतों का इस्लाम में दर्जे से सम्बंधित लेख पढ़ सकते हैं.



    Why cant we leave together in peace?
    हम हमेशा से ही शांति से एक-दुसरे के साथ रहते आएं हैं और रहते रहेंगे. कुछ कट्टरपंथी तत्त्व अवश्य ही माहौल को खराब करने की कोशिश करते हैं, परन्तु अच्छे लोगो के आचरण से उनकी योजनाएं कामयाब नहीं हो पाती हैं.



    Why you people consider all non-muslims as KAFIRS????
    काफ़िर का मतलब होता "इनकार करने वाला" मुसलमानों के हिसाब से अल्लाह और उसके संदेशवाहक मुहम्मद (स.) का इनकार करने वाले को काफ़िर कहा जाता है. हिन्दुओं के लिए काफ़िर का मतलब ग़ैर-हिन्दू और मुसलमानों के लिए ग़ैर-मुस्लिम हो सकता है.



    Why KURAN cant't be amended as per newer situations?Why it does consider itself perfect???(What a surprise).May be whatever written in it is true at the time when it was written,but since then a lot of time had been passed and new situations are here and it cant be amended as per current facts(I am not telling to change it,just improvement.)There is alway a chance of improvement.

    कुरआन की खासियत ही यही है, कोई चाहकर भी इसमें बदलाव नहीं कर सकता है. यह अपने आप में एक बिलकुल perfect किताब है. किसी भी किताब को बदलने अथवा उसमें कुछ बदलाव लेन के लिए उस्मिन लिखी हुई किसी भी चीज़ का गलत साबित होना आवश्यक है. और स्वयं ईश्वर ने पूरी दुनिया के इंसानों को चुनौती दी की अगर उन्हें लगता है, कि यह किताब ईश्वर की लिखी हुई नहीं है, तो इसके जैसी एक किताब अथवा इसके एक भाग जितना भी लिख कर दिखा दो. अगर लिख पाए तो समझना कि यह किताब (अर्थात कुरआन) किसी इंसान ने लिखी है वर्ना मान लेना कि यह किताब स्वयं ईश्वर ने लिखी है.

    Why you consider Art,Drawing,Dance,Music(Cradle of civilization as per my opinion)as a sin????
    हम कला, पेंटिंग इत्यादि को गुनाह नहीं समझते हैं, जबतक कि वह इस्लाम के उसूलों के खिलाफ ना जाए. वहीँ कुछ बातों पर रोक के कई कारण हैं. अगर आप कहें तो मैं विस्तार से समझा सकता हूँ.

    Mohammed Umar Kairanvi said...

    वाह भाई शाहनवाज gr8 लेकिन आज मेरी दुआ खाली जा रही है, मुझे कोई वोट देने से रोक नहीं सकता पहला मैंने दिया है देखता हूं दूसरे का सवाब किसे मिलता है वर्ना वह सवाब भी मुझे ही मिलेगा वह भी नियमअनुसार

    zeashan zaidi said...

    जो लोग कहते है की कुरआन पृथ्वी के चपटी होने की बात करता है वो बेचारे यही समझते हैं की कालीन सिर्फ चपटी सतह पर ही बिछाया जा सकता है.

    zeashan zaidi said...

    Islamic webduniya के दिए लिंक के बाद मैं नहीं समझता की किसी को इस्लाम के सम्बन्ध में कोई confusion रहना चाहिए.

    सलीम ख़ान said...

    mera naya lekh padhen...

    यह भारत का सुप्रीम कोर्ट है; यहाँ मुसलमानों को टोपी उतार कर आना पड़ेगा!

    vijkid said...

    Dear ShahNawaj Bhai.
    Thanks for your kind reply.There are so many replies but they are not worth of answering.They repeat the same "Ghisi Piti bate" those thing without any logic means pancho ki rai sar mathe per lekin parnal wahi bahega.Any way it is their view and I have to respect thier view.
    Most of the answer you have given are genuine and I accept that.
    But the problem is that "persons like you are really in minority in your community.Fortunately you are not in Afganistan(I Hope So,ha ha ha)otherwise you will be hanged for these statements of yours"इस्लाम आतंकवाद जैसे किसी भी कृत्य की सख्त निंदा करता है, ईश्वर ने स्वयं पवित्र कुरआन में कहा कि:

    इसी कारण हमने इसराईल की सन्तान के लिए लिख दिया था, कि जिसने किसी व्यक्ति को किसी के ख़ून का बदला लेने या धरती में फ़साद फैलाने के के जुर्म के अतिरिक्त किसी और कारण से मार डाला तो मानो उसने सारे ही इंसानों की हत्या कर डाली। और जिसने उसे जीवन प्रदान किया, उसने मानो सारे इंसानों को जीवन प्रदान किया। उनके पास हमारे रसूल (संदेशवाहक) स्पष्‍ट प्रमाण ला चुके हैं, फिर भी उनमें बहुत-से लोग धरती में ज़्यादतियाँ करनेवाले ही हैं [5:32] :: जो ईश्वर के साथ किसी दूसरे इष्‍ट-पूज्य को नहीं पुकारते और न नाहक़ किसी जीव को जिस (के क़त्ल) को अल्लाह ने हराम किया है, क़त्ल करते है। और न वे व्यभिचार करते है - जो कोई यह काम करे तो वह गुनाह के वबाल से दोचार होगा [25:68]"
    Any way I really respect my learned people like you and prey to god(Ishwer,Allah,jesus,)that hamare bich nafrat ki koi diwar na ho.
    Every person has a right to express himself,practice his religion without any fear(but is is possible in Afganistan,Pakistan,Sudan,Libiya,Gulf countries,Iran,Iraq,Misra,Jordan???? Don't answer me,just introspect honestly,as i introspect the mistakes done by the fanatics in my religion.
    But the answer remain the same,in my community people like me come out in open and protest our fanatics & in your community I feel people like you are really minuscule.
    As far as the amendments in HOLY KURAN is considered,it is you who can judge better.BUT..... again I found your reply about ART,Music,etc.... are far from satisfactory.
    Why you people make a mole into a mountain????? Just see the example of the topi issue of supreme court.I also read that news carefully and found nothing objectionable.
    If the person concerned is so purist, he should follow the islam in its true spirit.I am sure he was using bank,telling lies at somepoint in life,not doing the practice of Jakat,doing all those things which are considered sin in Islam.I hope I am able to make my point.But raising a hue and cry about topi.?????????
    Any way Shah Nawaj bhai.
    I am sharing my personal views and it is not meant to heart anyone's feeling at any cost and if it hearts anyone's feeling in anyway,I sincerely apologies them.
    Yours truly,
    Vij.

    vijkid said...

    mere bhaiyo,
    apni har chij ke liye america aur media ko doshi batane ki aadat chod do.
    jo bat aachi na lage wo galt aur jo aap ko sahi lage wo sahi.

    wah bahi wah.

    वीरेन्द्र जैन said...

    कृपया हिन्दी की साहित्यिक पत्रिका हंस में धारावाहिक रूप से प्रकाशित शीबा असलम फहमी की श्रंखला ज़ेन्डर ज़ेहाद पढें

    Tarkeshwar Giri said...

    inki to duniya hi kuran par aa karke atak jati hai. amma yar aur bhi bahut kuch hai sansar main.


    kya 1400 sal pahle is duniya main vigyan nahi tha

    Jyotsna said...

    क्या ईसाइयों और यहूदियों की भांति इस्लाम भी यह नहीं मानता की ईश्वर ने सात दिनों में इस संसार की रचना की थी?
    किसमें हिम्मत है इस सवाल का जवाब देने की?

    Tarkeshwar Giri said...

    Itni himmat kanha hai inme............

    zeashan zaidi said...

    @Jyotsna & Tarkeshwar
    इस्लाम के अनुसार दुनिया छः दिन में बनी. लेकिन ये 6 दिन पृथ्वी वाले 6 दिन नहीं हैं, क्योंकि पृथ्वी तो बाद में बनी. इन 6 दिनों को ब्रह्माण्ड रचना की 6 अवस्थाएं कह सकते हैं. कुरआन में दिन (योम) शब्द का मतलब कुछ कुछ यहाँ से स्पष्ट हो रहा है,
    (32.5) आसमान से ज़मीन तक के हर अम्र का वही मुद्ब्बिर (व मुन्तज़िम) है फिर ये बन्दोबस्त उस दिन जिस की मिक़दार तुम्हारे शुमार से हज़ार बरस से होगी उसी की बारगाह में पेश होगा
    यहाँ 1 दिन = 1000 वर्ष
    (70.4) जिसकी बारगाह में फ़रिश्ते और रूहें हाज़िर होती हैं एक ऐसे दिन में जिसका अन्दाज़ा पचास हज़ार बरस है.
    यहाँ 1 दिन = 50000 वर्ष.
    अर्थात 'दिन' एक सापेक्ष समय को बता रहा है.
    गुणाकर मुले की पुस्तक 'आर्यभट' का यदि सन्दर्भ लिया जाए तो आर्यभट ने समय का इस तरह विभाजन किया है,
    १ कल्प = ब्रह्मा का एक दिन
    १ कल्प = १००८ युग
    १ युग = ४३२०००० पृथ्वी के वर्ष.

    इस तरह अगर बाइबिल और कुरआन में ब्रह्माण्ड के छः दिन में बनने के कथन को लिया जाए तो ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति में कुल वर्ष आते हैं, 26127360000. अर्थात 26 Billion वर्ष. ये समय बिग बैंग सिद्धांत से निकाली गई ब्रह्माण्ड की आयु से लगभग मैच कर रहा है.

    DR. ANWER JAMAL said...

    अच्छा लेख है.

    Shah Nawaz said...

    Zeeshan bhai, bahut hi achha jawab diya aapne.

    @Jyotsna & Tarkeshwar

    Aapke sabhi prashno ka swagat hai! basharte ki sanyam aur achhe Akhlaq ke sath maloom kiye jaaen.

    Aap sabhi ka mera lekh padhne ka bahut-bahut Dhanywad!

    MLA - Mohd Liaqat Ali said...

    बहुत ज़बरदस्त! बहुत ही बढ़िया जानकारियां हैं.

    MLA - Mohd Liaqat Ali said...

    "कुछ लोगो को लगता है कि कुरआन के अनुसार पृथ्वी समतल है जबकि कुरआन की एक भी आयत यह नहीं कहती है कि पृथ्वी समतल (फ्लैट) है. कुरआन केवल एक कालीन के साथ पृथ्वी की पपड़ी की तुलना करती है. कुछ लोगों को लगता है की कालीन केवल एक निरपेक्ष समतल सतह पर रखा जा सकता हैं. एक कालीन, पृथ्वी के रूप में एक बड़े क्षेत्र पर फैल सकता है. आसानी से एक कालीन के साथ पृथ्वी के एक विशाल मॉडल को ढक कर देखा जा सकता है."

    Jyotsna said...

    "कुरआन में ब्रह्माण्ड के छः दिन में बनने के कथन को लिया जाए तो ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति में कुल वर्ष आते हैं, 26127360000. अर्थात 26 Billion वर्ष. ये समय बिग बैंग सिद्धांत से निकाली गई ब्रह्माण्ड की आयु से लगभग मैच कर रहा है."

    क्या ख़ाक मैच कर रहा है! सारे वैज्ञानिक प्रमाणों से ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति लगभग १४ बिलियन वर्ष पहले हुई तय होती है. और आप लोग बिग बैंग पर कब से यकीन करने लगे! या तो अल्लाह द्वारा ब्रह्माण्ड की रचना करने को सही मानो या बिग बैंग को. अब बताओ क्या सही है.

    और क्या यह अजीब बात नहीं है की सर्वशक्तिमान ईश्वर को ब्रह्माण्ड की रचना मात्र करने में इतना लम्बा समय लग गया!

    Dr. Ayaz ahmad said...

    VERY GOOD

    Shah Nawaz said...

    @ Jyotsna

    ईश्वर कुरआन में कहता कि वह जब किसी काम को करना चाहता है तो कहता है "हो जा" और वह हो जाती है. परन्तु दुनिया के निजाम को चलने के लिए वह हर कार्य की एक कार्य प्रणाली बनता है, और हर कार्य उस प्रणाली के अंतर्गत होता है. (हालाँकि वह स्वयं उस कार्य प्रणाली का मोहताज नहीं है, वह चाहे तो बिना प्रणाली के भी कार्य हो सकता है.) उदहारण स्वरुप: एक मनुष्य के बच्चे को पैदा होने में 9 महीने का समय लगता है. इसका मतलब यह तो कतई नहीं हो सकता है कि इतना ताकतवर ईश्वर जिसने पूरा ब्रह्माण्ड बनाया, एक बच्चे को एक पल में नहीं बना सकता. बल्कि उसने जो प्रणाली बनाई है उसके अंतर्गत ही सारे कार्य होते हैं.यही तो उस सर्वशक्तिमान प्रभु की लीला है!

    Shah Nawaz said...

    धन्यवाद विज जी, दरअसल फर्क सिर्फ सोच का होता है. यह बात सौ प्रतिशत सत्य है कि माहौल के हिसाब से समझ में फर्क होता है. एक उच्च संस्थान में कार्यरत उच्चाधिकारी को गाँव के उसूलों की समः नहीं हो सकती, वहीँ गाँव के सरपंच अथवा खेती का कार्य करने वाले मजदूर को किसी उच्च संस्थान के कार्यों की समझ नहीं हो सकती, जब तक कि वह स्वयं दुसरे माहौल में अपना समय ना व्यतीत करे. मैंने देखा है, अधिकतर लोग दूसरों की आस्था को समझे बिना ही उसको सही-गलत साबित करने में ही पूरा जीवन व्यतीत कर देते हैं. जबकि अगर किसी की आस्था को समझना है, तो अपनी सोच का प्रयोग नहीं बल्कि उनकी आस्था का गहन अध्यन आवश्यक है.

    vijkid said...

    Dear Shahnawaj Bhai,
    Gud Monrning & Walecum Aasslam,
    Aapki Reply ke liye Bahut bahut Shukriya.
    Lekin agar gustakhi maf ho to mai kahna chahunga ki mere sawal jaha ke taha hai.
    Aapne acchi koshish ki.Mere kafi confusions ko dur bhi kiya, lekin kuch jaruri mudde wahi chod diye gaye.Unper aap kyo chup hai?????

    Umer saheb ki is tippani ka mai kya jabab du"nice post अल्‍लाह करे आप भी वोट दे सकें, vijkid के confusions दूर किजियेगा, कमबख्‍त कोई हमसे तो कहता ही नहीं कि मुझे यह confusion है, न कोई मेरा confusion दूर करता कि मुझे वाइरस क्‍यूं कहते हैं मैंने इन्‍हें बस इतना ही तो कहा था कि आओ"
    MAI to sirf itna kahunga ki KAIRANVI SAHAB 3IDIOT KI COPY OPPS...... KOPY KE LIYE AAMIR BAN NA PADEGA.kOSHISH KARE INSHAALLAH KAMYABI JARUR MILGE KI LOG AAPKO वाइरस क्‍यूं कहते हैं?"
    Anyway lets come to the main topic-
    I found(may be i am wrong)about 1.-The "Shahbano mudda"-it does not give very positive impression about female in your community,no one dared to stand in favour of Arif Md.Khan.No one is telling that Shoeb malik had done wrong with Aayesha or Maha, Whatever you say.
    2.- Why no one is opposing to taliban for doing wrong with the Sikh Minority in pakistan,Why not some one is saying a single word in favour of Kashmiri pandits.Yes I AGREE JAKHM DONO ORE HAI,Lekin hum jab Bjp aur rss ko reject ker sakte hai to aap kyo chup hai?????
    3.- Why there is an opposition of uniform civil code????why personal laws????When you say that religion is a totally matter of personal faith then why their is an exhibition of personal faith in public?Mere hisab se jab sabhi ko barabar adhi kar hai to responsibility bhi barabar uthani padegi,You can't shy away from those responsibilities by saying ki ISLAM me mana hai.

    vijkid said...

    4.-I found that their is alway a talk is going on that "ISLAM IS GREAT"
    No problem but who give you right to say that other religion are inferior??????Even in this site there is alway a talk is going on that this fellow or that fellow converted to Islam,No problem it is their personal matter.I can't see this as a matter worth of discussion in public platform as this is a matter of personal faith totally but it is highlighted in such a fashion that it seems that a war is going on in between religions.
    Their are also conversions from Muslims to Christianity or Hinduism or to other religions
    and they don't make this issue as of winning a war.
    This type of things can't put a positive impression.
    5.-You say don't hurt our feelings,OK U R absolutely right... But when it comes to Cow slaughter,Don't you think it also hearts the feelings of others also???(I know that you will say that it is our traditional food,But from when???? Go through Family history,You will find that when it started.I hope i am making my point clear.)
    5.-Why you make yourself a vote bank in the hand of leaders like Lalooji and Mulayamji,without giving a second thought???
    If you hate Bjp ,it is OK,Why don't you put a good candidate from your community to represent your views and is acceptable to all.Don't you has such leaders????
    Kya L & M company ke goodwill ke bare me kuch kahne ki jarurat hai.Bihar aur U.P. Ka kya hal hai aapse chipa nahi hai.

    vijkid said...

    6.- As the web site also answered me
    "The maim reason is that media,s role is against islam.The second reason is that many muslims don,t follow the islam.Acts of muslims are not"
    Once again Why you think the whole world media is against you?????
    Duniya itni choti nahi hai ki koi ek ya do insan puri media ko kharid ke aapke khilaf kar de.Aap apne views ko bhi media ke through baki tak pahunchate hai.
    Try to be rational & the 2nd point if my son does something wrong,definitely I am also responsible somewhere,I can't hide from this fact that I had not given him good values as a responsible human being,So if a follower of Islam does something wrong,which put a bad image,it is the responsibilities of your elders to teach him a lesson so that no will put a finger towards ISLAM.
    Rest in next conversation Brother.
    Yours Vij.
    N.B.- You will be surprised to know that persons closest to my heart, are Muslims.My Best Friends are Muslims.I Spent most of my leisure time with them only.They are the persons whom I relies most during my good times or bad times.At present I am going to attend the engagement of my best friend And fortunately He is also a Muslim.Bye and Good luck.

    Mohammed Umar Kairanvi said...

    @vijkid मुझे कैराना प्रेस क्‍लब से इण्डिया प्रेस कल्‍ब तक मिडिया वालों से हुई बहस से पता चला कि मिडिया इस्‍लाम का दुश्‍मन इस लिये रहा है कि इस्‍लाम की बातें आते ही उसका मकडजाल खत्‍म हो जायेगा, बडे से बडा हिन्‍दी अखबार देख लो अपने धर्म कोने, पृष्‍ठ में वह धर्म नहीं होता जिसकी आबादी यहां 20 करोड बतायी जाती है और 53 मुल्‍कों में झण्‍डे रखता है खेर 'हमारी अन्‍जुमन' हमेशा जवाब देती रही है, शाहनवाज भाई सफर में हैं शायद कल जवाब दे पायें

    इस बीच मेरे सवाल का जवाब देदो तुम या इस ब्‍लागजगत के बूढे या जवान कोई बताओ क्‍या मिडिया ने अल्‍लाह के चैलेंजस की जानकारी उन्‍हें होने दी 6 चैलेंजस पढो और बताओ इनमें से किसकी आपको खबर थी, और सम्‍भव हो तो मिडिया को कहो जो गेंद बल्‍ले की खिलाडी के कच्‍छे के साइज की बहस में इस्‍लाम ढूंडता है , मिडिया से कहो उसमें होसला है तो इन पर चर्चा करके अपना हौसला साबित करे

    signature:
    विचार करें कि मुहम्मद सल्ल. कल्कि व अंतिम अवतार और बैद्ध मैत्रे, अंतिम ऋषि
    (इसाई) यहूदीयों के भी आखरी संदेष्‍टा? हैं या यह big Game against Islam है?
    antimawtar.blogspot.com (Rank-2 Blog) डायरेक्‍ट लिंक

    अल्‍लाह का
    चैलेंज पूरी मानव-जाति को


    अल्‍लाह का
    चैलेंज है कि कुरआन में कोई रद्दोबदल नहीं कर सकता


    अल्‍लाह का
    चैलेंजः कुरआन में विरोधाभास नहीं


    अल्‍लाह का
    चैलेंजः आसमानी पुस्‍तक केवल चार


    अल्‍लाह का
    चैलेंज वैज्ञानिकों को सृष्टि रचना बारे में


    अल्‍लाह
    का चैलेंज: यहूदियों (इसराईलियों) को कभी शांति नहीं मिलेगी


    छ अल्लाह के चैलेंज सहित अनेक इस्‍लामिक पुस्‍तकें
    islaminhindi.blogspot.com (Rank-2 Blog)
    डायरेक्‍ट लिंक

    Mohammed Umar Kairanvi said...

    @ वीरेन्द्र जैन साहब अपनी गलतफहमी को 'हमारी अन्‍जुमन' भेजो, कभी मिले तो उससे हमारा सलाम कहना

    Shah Nawaz said...

    1.-The "Shahbano mudda"-it does not give very positive impression about female in your community,no one dared to stand in favour of Arif Md.Khan.No one is telling that Shoeb malik had done wrong with Aayesha or Maha, Whatever you say.

    विज भाई, किसी परेशानी की वजह से आपको उत्तर नहीं दे पाया, उसके लिए माफ़ी चाहूँगा, और अभी भी दिमाग थोडा परेशां है, फिर भी कोशिश करता हूँ आपको सही जवाब दे पाऊं.

    शाहबानो पूरी तरह से राजनेतिक मुद्दा है, वैसे मुझे इस केस की प्रष्ठभूमि की जानकारी नहीं है, इंशाल्लाह जानकारी हासिल करने के बाद ही आपसे कुछ कह पाउँगा.

    Why no one is opposing to taliban for doing wrong with the Sikh Minority in pakistan,Why not some one is saying a single word in favour of Kashmiri pandits.Yes I AGREE JAKHM DONO ORE HAI,Lekin hum jab Bjp aur rss ko reject ker sakte hai to aap kyo chup hai?????

    दरअसल बात चाहे सिखों की हत्या की हो अथवा कश्मीरी पंडितों की हत्या कि तो उपरोक्त दोनों कृत्य आंतकवाद ही का नमूना है. और हिंदुस्तान की हर छोटी-बड़ी इस्लामिक संस्था ने ऐसे आतंकवादी कृत्यों की निंदा की है. बल्कि आतंकवाद के खिलाफ तो दारुल-उलूम जैसी कई संस्थाओं ने फ़तवा जारी किया है. और सिर्फ फ़तवा ही नहीं अपितु हिन्दुस्तान की मुस्लिम आवाम के बीच जन-जागरण अभियान भी चलाया जा रहा है. कहाँ और कैसे जैसे सवालों के लिए आप मुझसे संपर्क कर सकते हैं, या फिर मौलाना मदनी जैसे धार्मिक नेताओं से स्वयं भी संपर्क कर सकते हैं. आप चाहे तो इसी मंच पर सिक्खों की हत्या के विरोध में लिखा गया लेख भी पढ़ सकते हैं.

    जैसा की मैंने कुरआन और मुहम्मद (स.) के कहे हुए शब्दों का उदहारण देते हुए समझाया था, कि किसी भी एक बेहुनाह की हत्या अल्लाह की नज़र में पूरी दुनिया के मनुष्यों की हत्या के बराबर जुर्म है, और उसके बदले में ईश्वर ने बड़ी सजा का एलान कर रखा है. बल्कि दुनिया में भी ज़लील-ओ-ख्वार होने की बात कही है.

    और मैं तो हर मंच पर ऐसे घृणित कृत्य की निंदा करता हूँ. ऐसे लोग जो बेगुनाहों की हत्या करते हैं अथवा नुक्सान पहुंचाते हैं, वह पूरी कायनात के लिए खतरा हैं. उनका तो हर हाल में विरोध होना चाहिए.

    फिर ऐसे लोगों का इस्लाम से कुछ भी लेना-देना हो ही नहीं सकता है. क्योंकि यही वह लोग हैं, जो इस्लाम को बदनाम कर रहे हैं. आज इस्लाम जैसे शांति पसंद मज़हब को सबसे अधिक नुक्सान ऐसे संगठनों की वजह से ही हो रहा है. तो इनका विरोध करना तो हमारा सबसे पहला फ़र्ज़ है.

    Shah Nawaz said...

    "Why there is an opposition of uniform civil code????why personal laws????When you say that religion is a totally matter of personal faith then why their is an exhibition of personal faith in public?Mere hisab se jab sabhi ko barabar adhi kar hai to responsibility bhi barabar uthani padegi,You can't shy away from those responsibilities by saying ki ISLAM me mana hai."

    देश के कानून का सिर्फ हिन्दू ही नहीं अपितु मुस्लिम भी पालन करते हैं. फर्क केवल मज़हब से सम्बंधित विषयों पर है. अब क्योंकि आस्थाएँ अलग-अलग हैं तो नियम भी अवश्य ही अलग-अलग होंगे. मेरे विचार से इसमें परेशान होने वाली कोई बात भी नहीं है.

    Uniform Civil Code पर शंका सिर्फ मुस्लिम ही नहीं अपितु और धर्मों के लोग भी करता हैं. क्योंकि इसका प्रारूप अभी किसी के सामने नहीं है, तो हर एक को डर है, कि कहीं उसके धार्मिक नियमों को हानी तो नहीं होगी. जैसे निकाह करने, तलाक देने, ज़मीन-जायदाद में हक, इत्यादि धर्म से सम्बंधित विषयों पर शंका का होना जायज़ भी है.

    जैसे इस्लाम विशेष परिस्तिथियों में 4 शादियों की इजाज़त देता है, परन्तु हिन्दू धर्म नहीं. तो Uniform Civil Code का स्वरुप कैसा होगा? हिन्दू समुदाय चाहता है, कि उसके मूल्यों का पालन होगा और मुस्लिम समुदाय चाहता है, कि उसके. अब इसमें दुसरे विवाह की इजाज़त मिलने पर हिन्दू धर्म के हितों का हनन होगा और नहीं मिलने पर मुस्लिम. क्योंकि हमारी इस मस`अले पर अलग राय है, और अपनी राय के समर्थन में वाजिब तर्क भी मौजूद है. केवल यही नहीं बल्कि ऐसे हजारों मुद्दों पर असहमति होगी.

    क्या आप मुझे बता पाएँगे कि हल क्या होगा?

    जहाँ तक बात आस्था से है तो यह बात बिलकुल सही है कि इसका सम्बन्ध व्यक्ति विशेष से है. इसमें एक बात और है, अगर किसी को कोई बात ऐसी लगती है, जिससे उसके परिवार का फायदा है और नुक्सान से बचाव है, तो वह अवश्य ही उस बात को परिवार के दुसरे सदस्यों से साझा करेगा. हाँ यह बात अवश्य है कि परिवार के दुसरे सदस्य अपना अच्छा-बुरा स्वयं चुनने का अधिकार रखते हैं. इसलिए वह चाहे तो उक्त बात को क़ुबूल कर सकते है अथवा उनको निरस्त करने का पूरा अधिकार है.

    उसमें यह भी है, कि अगर मेरा धर्म अथवा आस्था किसी चीज़ को करने से रोकती है और मेरा अपने धर्म में पूर्ण विश्वास है, तो कोई कारन नहीं कि कोई मुझे उस बात को करने से रोक दे, जबतक कि मेरे कार्य द्वारा किसी को नुक्सान अथवा जायज़ परेशानी ना होती हो. जैसे बात परदे की अथवा दाढ़ी की है. अब एक औरत का यह अधिकार है कि अपने रब से प्रेम के प्रेम में वशीभूत होने के कारणवश उसके हुक्मों के पालन हेतु पर्दा करना चाहे तो अवश्य करे. बिलकुल ऐसे ही अगर कोई मर्द दाढ़ी रखना चाहे तो उसे कैसे रोका जा सकता है? क्योंकि पर्दा अथवा दाढ़ी व्यक्ति विशेष का स्वयं का मामला है, तो उसपर फैसला करने का अधिकार भी सम्बंधित व्यक्ति का ही होना चाहिए. ना कि किसी सरकार अथवा संगठन का.

    मैं कैसे अपने जीवन को व्यतीत चाहता हूँ, इसका फैसला करने का अधिकार केवल और केवल मुझे ही होना चाहिए, जब तक मेरे द्वारा किये गए किसी कार्य से किसी और को नुक्सान अथवा जायज़ परेशानी ना हो.

    Shah Nawaz said...

    I found that their is alway a talk is going on that "ISLAM IS GREAT"
    No problem but who give you right to say that other religion are inferior??????


    आपकी बात से पूर्णत: सहमत हूँ. किसी को भी किसी दुसरे धर्म को बुरा कहने का अधिकार स्वयं ईश्वर ने भी नहीं दिया है. मेरे गुरु मुहम्मद (स.) ने फ़रमाया जिसका मतलब है कि किसी भी दुसरे के धर्म अथवा आस्था को बुरा मत कहो, कहीं ऐसा ना हो कि वह भी तुम्हारे धर्म को बुरा कहें और अनजाने में गुनाहगार बन जाएँ.

    यहाँ तक कि युद्ध के समय में भी दुश्मन देश पर विजय के हालत में भी उनके धर्म से सम्बंधित इमारतों (मंदिर, मस्जिद, चर्च इत्यादि) एवं धर्म गुरुओं को नुक्सान नहीं पहुँचाने का हुक्म मेरे गुरु और ईश्वर के अंतिम संदेशवाहक मुहम्मद (स.) ने दिया.

    Even in this site there is alway a talk is going on that this fellow or that fellow converted to Islam,No problem it is their personal matter.I can't see this as a matter worth of discussion in public platform as this is a matter of personal faith totally but it is highlighted in such a fashion that it seems that a war is going on in between religions.
    Their are also conversions from Muslims to Christianity or Hinduism or to other religions
    and they don't make this issue as of winning a war.


    भाई, मेरे विचार से तो इसमें युद्ध जैसी कोई बात ही नहीं है. ब्लॉग जगत एक समाचार पत्र की तरह ही है. अगर कोई बड़ा समाचार होता है, तो हर समाचार पत्र का यह उत्तरदायित्व है कि उक्त समाचार की अच्छाई और बुराई दुनिया के सामने लेकर आए. इसी तरह अगर कोई बहुत बड़ा व्यक्ति किसी विशेष कारणवश अपना धर्म परिवर्तन करता है, तो जिन्हें यह अच्छी बात लगती है, वह उसे अच्छे तरीके से पेश करते हैं. और जिन्हें बुरी बात लगती है, वह इसे बुरे नज़रिए से पेश करते हैं.

    वैसे भी दिन-प्रतिदिन हजारो लोग धर्म परिवर्तन करते हैं, परन्तु वह खबर नहीं बन पाते हैं, क्यों वह एक साधारण खबर भर होते हैं. यह बिलकुल ऐसे ही है जैसे विशेष व्यक्ति अगर कोई विशेष कार्य करते हैं, अथवा कोई साधारण व्यक्ति विशेष कार्य करता है (ऐसा कार्य जिससे आम लोगो को नफा-नुक्सान हो अथवा जिज्ञासा हो) तो वह समाचार दूसरों तक पहुँचाना पत्रकार का कार्य होता है.

    Shah Nawaz said...

    You say don't hurt our feelings,OK U R absolutely right... But when it comes to Cow slaughter,Don't you think it also hearts the feelings of others also???(I know that you will say that it is our traditional food,But from when???? Go through Family history,You will find that when it started.I hope i am making my point clear.)

    मैं आपकी इस बात से भी पूरी तरह सहमत हूँ और इस्लाम भी इसकी इजाज़त नहीं देता है. गाय काटने के खिलाफ दारुल-उलूम देवबंद जैसी कई संस्थाओ ने पहले ही फतवा देकर इसे इस्लाम के खिलाफ कृत्य करार दिया है और अब ऐसा करना हराम है. इसलिय जो अल्लाह के ऊपर ईमान रखते हैं वह उसके हुक्मों का पालन करते हैं.

    इस्लाम धर्म के अनुसार मुसलमान जिस देश के भी निवासी हो, उस देश के संविधान का पालन करना उनके लिए अनिवार्य है सिर्फ ऐसे नियम को छोड़ कर जिसमें ईश्वर को ना मानने की बाध्यता हो. अर्थात ऐसा कोई नियम जो ईश्वर को मानने से रोकता हो, ऐसे नियम को छोड़ कर हर नियम को मज़बूरी में सही परन्तु मानना अनिवार्य है.

    इसलिए जिस राज्य में भी गो-वध के खिलाफ कानून है, वहां पर गो-मांस का भक्षण करना शरियत के खिलाफ है. और रही बात इस बात को ना मानने वालो की तो बहुत से ऐसे लोग हैं जो देश का संविधान नहीं मानते हैं, परन्तु जो देश से अथाह प्रेम करते हैं वह अवश्य ही देश के संविधान का पालन करते हैं. और यही बात मुसलमानों के लिए भी लागू होती है, कि जो इस्लाम धर्म से प्रेम करते हैं और उसका पालन करते हैं वह ज़रूर उक्त फतवे (अर्थात इस्लामिक सलाह) का पालन करते हैं.

    Unknown said...

    Badia Kuran ki galti Ko chupane k liye flat se sidha round..phir kai sare chenalo p debate kyu karu Islam k dharma guruo n ki earth flat h flat h...acha Kuran Allah ki Wani h to ap to mante ho allah nirakar h to phir Wani k liye to mouth cahiye...or nirakar Ko to mouth hi Ni hota ...ap se ek bar or Janna cahta hu ki khuda k marji j khilaf kuch ni hota to khuda to cahta ki mujhe sab mane to phir kafir kaha se aye..or kya khuda n atankwad Ashanti halala in sab chiz ki bhi permission di h kya

    Unknown said...

    I want to all these in a general way..please explain all

    Unknown said...

    https://youtu.be/eOMw5aZp9wI