क्या धरती पहाडो की वजह से टिकी है?

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  • Thursday, April 8, 2010
  • by
  • Shah Nawaz
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  • वैज्ञानिक पर्वतों के महत्व को समझाते हुए कहते हैं कि यह पृथ्वी को स्थिर रखने के लिए महत्त्वपूर्ण हैं:


    'पर्वतों में अंतर्निहित जड़ें होती है. यह जड़ें गहरी मैदान में घुसी हुई होती हैं, अर्थात, पर्वतों का आकार खूंटो अथवा कीलों की तरह होता है. पृथ्वी की पपड़ी 30 से 60 किलोमीटर गहरी है, यह seismograph (स्वचालित रूप से तीव्रता, दिशा रिकॉर्डिंग और जमीन की हलचल की अवधि बताने वाले उपकरण) से ज्ञात होता है. इसके अलावा इस मशीन से यह ज्ञात होता है कि हर एक पर्वत में एक अंतर्निहित जड़ होती है, जो अपनी अंतर्निहित परतों की वजह से पृथ्वी की पपड़ी को स्थिर बनाती है, और पृथ्वी को हिलने से रोकता है. अर्थात, एक कील के समान है, जो लकड़ी के विभिन्न टुकड़ों को एकजुट रखे हुए है.


    ईश्वर कुरआन में कहता है:

    क्या ऐसा नहीं है कि हमने धरती को बिछौना बनाया और पहाडो को खूंटे? [78:6-7]

    "Have We not made the earth as a wide expanse. And the mountains as pegs?" [The Holy Qur'an, Chapter 78, Verse 6-7]

    - शाहनवाज़ सिद्दीकी



    Isostacy: mountain masses deflect a pendulum away from the vertical, but not as much as might be expected. In the diagram, the vertical position is shown by (a); if the mountain were simply a load resting on a uniform crust, it ought to be deflected to (c). However because it has a deep of relatively non-dense rocks, the observed deflection is only to (b). Picture courtesy of Building Planet Earth, Cattermole pg. 35

    10 comments:

    Admin said...

    बहुत अच्छा । बहुत सुंदर प्रयास है। जारी रखिये ।




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    Mohammed Umar Kairanvi said...

    nice post

    sahespuriya said...

    MASHALLAH
    IK AUR GOOD POST

    इस्लामिक वेबदुनिया said...

    शाहनवाज़ साहब एक और अच्च्छा आलेख देने के लिए बहुत बहुत शुकरिया
    आप अच्छे अंदाज़ में इस्लाम को पेश कर रहे हैं आज ज़रूरत इसी बात की है. आप अपनी इस मुहिम को जारी रखें. हमें इस बात की बेहद खुशी है की आप जेसे काबिल शख्स हमारे साथ जुड़े.

    safat alam taimi said...

    सच फरमाया अल्लाह तआला ने (क्या ऐसा नहीं है कि हमने धरती को बिछौना बनाया और पहाड़ों को खूंटे?) [78:6-7]

    सलीम ख़ान said...

    शाहनवाज़ भाई, आपके इस लेख के ज़रिये पाठकों को यह भी ज्ञात हो गया कि कुर-आन की बातें आधुनिक विज्ञान के उन सभी पहलुवों के आधार पर खरा उतरता जा रहा है... बल्कि विज्ञानं कुर-आन की कसौटी पर खरा उतरता जा रहा है...

    सलीम ख़ान said...

    कुर-अन की एक एक आयत तर्क की कसौटी पर तो खरी उतरती ही है साथ ही साथ यह आपके मष्तिष्क के उन सभी सवालों के जवाब दे देती है जो एक व्यक्ति सोचता है... यह दिल को खुश तो कर ही देता दिमाग को भी सौ प्रतिशत संतुष्ट करता है. यह उनके लिए है जो समझना चाहते हैं.

    Shah Nawaz said...

    Admin ji, उमर जी, sahespuriya ji, इस्लामिक वेबदुनिया, safat alam taimi ji और सलीम भाई, आपका बहुत बहुत शुक्रिया मेरे प्रयास को सराहने का. दर असल किसी वजह इस पोस्ट को लिखने के सेकंड बाद ही मुझे मुरादाबाद जाना पड़ा. इसलिए इस पोस्ट को भी पूरा नहीं लिख पाया था.

    मेरी इस पोस्ट को अवश्य पढ़े और जहाँ तक हो सके इसमें मदद करें.
    http://premras.blogspot.com

    Shah Nawaz said...

    सलीम भाई, आपने बिलकुल सही लिखा है. मैं इंशाल्लाह कोशिश करूँगा और भी पहलुओं को सामने ला पाऊं.

    tahoor rocks said...

    Assalamu alaikum.....

    bahut acche shahnawaz bhai...
    bahut accha prayaas hai quraan aur science ke pehluon ko samjhane ka..