
मुसलमानों के लिए यह ज़रूरी है कि वह जान और मान लें कि इस्लाम दया और न्याय का धर्म है. इस्लाम के लिए इस्लाम के अलावा अगर कोई और शब्द इसकी पूरी व्याख्या कर सकता है तो वह "न्याय" है.
किसी पर झूठा इलज़ाम लगाना या झूठा इलज़ाम लगाने वालों का साथ देना, जब तक किसी पर जुर्म साबित ना हो जाए, (मतलब जुर्म की सच्ची गवाही ना मिल जाए) उसे मुजरिम ठहराना अथवा जुर्म साबित किये बिना ही सज़ा देना, सजा देने की मांग...